वर्ल्ड बैंक की
"इंटरनेशनल डेट रिपोर्ट 2024" के मुताबिक, भारत पर विदेशी कर्ज में पिछले
दशक से उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। हालांकि, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
इस कर्ज को प्रबंधनीय बनाती है।
1. भारत पर विदेशी
कर्ज की प्रमुख बातें
- कुल विदेशी कर्ज (External Debt):
- 2010: 290.4 अरब डॉलर
- 2022: 615.5 अरब डॉलर
- 2023: 646.8 अरब डॉलर
➡️ कर्ज 2010 से 2023 के बीच दोगुना से
अधिक हो चुका है।
- ब्याज भुगतान:
- 2010: 4.6 अरब डॉलर
- 2022: 15.1 अरब डॉलर
- 2023: 22.5 अरब डॉलर
➡️ कर्ज के साथ-साथ ब्याज भुगतान में भी भारी
बढ़ोतरी हुई है।
- कर्ज की संरचना:
- 77%: लंबी अवधि का कर्ज
- 23%: छोटी अवधि का कर्ज
- कर्ज के स्रोत:
- 1/3 कर्ज: वर्ल्ड बैंक जैसे बहुपक्षीय
संस्थानों से
- 11% कर्ज: जापान जैसे देशों से
2. वैश्विक तुलना
में भारत की स्थिति
देश |
कुल विदेशी
कर्ज (2023) |
ब्याज भुगतान
(2023) |
भारत |
646.8 अरब डॉलर |
22.5 अरब डॉलर |
चीन |
2.4 लाख करोड़
डॉलर |
49.8 अरब डॉलर |
ब्राजील |
607 अरब डॉलर |
24.5 अरब डॉलर |
मैक्सिको |
595.9 अरब डॉलर |
23.1 अरब डॉलर |
➡️ विश्लेषण:
- भारत का कुल विदेशी कर्ज ब्राजील और मैक्सिको
के समान स्तर पर है, लेकिन भारत ब्याज दरों के मामले में बेहतर स्थिति
में है।
- चीन का कर्ज भारत की तुलना में लगभग 4 गुना
है और ब्याज भुगतान भी अधिक है।
3. कर्ज का प्रभाव
और अर्थव्यवस्था की स्थिति
- मांग और निवेश में वृद्धि:
- कर्ज उठाने का उद्देश्य विकास दर बनाए
रखना और अर्थव्यवस्था में मांग तथा निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
है।
- प्रबंधनीय कर्ज स्तर:
- भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट और विकासशील
अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी कर्ज प्रबंधनीय है।
- लंबी अवधि का कर्ज:
- कर्ज का बड़ा हिस्सा लंबी अवधि का
है, जिससे अल्पकालिक वित्तीय दबाव कम होता है।
- कम ब्याज दर:
- भारत अन्य विकासशील देशों जैसे ब्राजील और
मैक्सिको के मुकाबले कम ब्याज दर पर कर्ज उठाता है।
4. भविष्य की चुनौतियाँ
और अवसर
- कर्ज प्रबंधन:
- भारत को विदेशी कर्ज पर निर्भरता को नियंत्रित
करना होगा ताकि ब्याज भुगतान का बोझ न बढ़े।
- उत्पादक निवेश:
- कर्ज का उपयोग बुनियादी ढांचे, उद्योग,
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में करना आवश्यक है ताकि रिटर्न
अधिक हो।
- मुद्रा मूल्य और वैश्विक अनिश्चितताएँ:
- रुपये के मूल्य में गिरावट विदेशी कर्ज को
महंगा बना सकती है।
- नवीन निवेश अवसर:
- भारत के पास डिजिटल अर्थव्यवस्था, हरित
ऊर्जा और उद्योगों के माध्यम से कर्ज का अधिकतम उपयोग कर तेजी
से विकास का अवसर है।
निष्कर्ष
भारत का विदेशी
कर्ज पिछले दशक में तेजी से बढ़ा है, लेकिन वैश्विक तुलना में यह अभी प्रबंधनीय
स्थिति में है। लंबी अवधि के कर्ज, कम ब्याज दर और विकासशील अर्थव्यवस्था
भारत को मजबूत स्थिति में रखते हैं। सरकार को कर्ज के उपयोग को उत्पादक क्षेत्रों
में केंद्रित करना होगा ताकि आर्थिक विकास के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता भी बनी
रहे।
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