पूर्णिया और कोसी क्षेत्र लंबे समय से
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाने जाते हैं। इस क्षेत्र के किसानों के लिए कृषि
ही मुख्य रोजगार का साधन रहा है। हालांकि, बाढ़, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के
कारण यहां के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा है। बदलते दौर में सरकार और प्रशासन
की नई पहलों ने न केवल किसानों को राहत दी है, बल्कि कृषि उत्पादों को नया आयाम भी
दिया है। इथेनॉल प्लांट की स्थापना और मखाना प्रसंस्करण इकाई के निर्माण ने इस क्षेत्र
में कृषि आधारित उद्योगों के विकास की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
इथेनॉल प्लांट से शुरू हुआ विकास
का सफर
पूर्णिया में सरकार की पहली पहल
इथेनॉल प्लांट की स्थापना रही, जिसने क्षेत्रीय किसानों और उद्योगों को एक नई दिशा
दी। इस कदम से न केवल किसानों को उनके कृषि उत्पादों का सही मूल्य मिलने लगा, बल्कि
क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए। यह पहल दर्शाती है कि सरकार कृषि आधारित
उद्योगों को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय विकास की नींव मजबूत करना चाहती है।
मखाना: किसानों की नई उम्मीद
पूर्णिया क्षेत्र में मखाना की
खेती ने न केवल किसानों के जीवन में बदलाव लाया है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक नई
पहचान भी दी है। मखाना एक ऐसी नकदी फसल है जो प्राकृतिक आपदाओं से कम प्रभावित होती
है और किसानों को धान जैसी पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा देती है।
बदलते समय में, मखाना की मांग
न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ी है। इसका फायदा उठाते हुए किसानों
ने अपने निचले खेत, जहां पहले धान की खेती होती थी, मखाना की खेती के लिए परिवर्तित
कर दिए हैं। आज, देश के 70% मखाना उत्पादन के लिए पूर्णिया और कोसी क्षेत्र जिम्मेदार
हैं।
मखाना प्रसंस्करण इकाई: एक बड़ा
कदम
सरकार और प्रशासन के प्रयासों
के तहत पूर्णिया में भारत की सबसे बड़ी मखाना प्रसंस्करण इकाई "फार्मले"
की स्थापना की जा रही है। इस इकाई से मखाना की गुणवत्ता बढ़ेगी और इसे अंतरराष्ट्रीय
बाजार में बेहतर पहचान मिलेगी। स्टार्ट-अप पूर्णिया अभियान के तहत इस इकाई के लिए मुख्यमंत्री
उद्यमी योजना और बिहार लघु उद्यमी योजना के माध्यम से करोड़ों का ऋण स्वीकृत किया गया
है। इससे मखाना किसानों को नई ऊर्जा मिली है और उनके उत्पादों को सही कीमत मिलने की
उम्मीद बढ़ी है।
मक्का और केला: नई संभावनाओं
की ओर
मखाना के साथ-साथ मक्का और केला
पूर्णिया और कोसी क्षेत्र की मुख्य फसलें हैं। हर साल यहां 16.24 लाख मीट्रिक टन मक्के
का उत्पादन होता है, जिसका देश और विदेशों में बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है।
मक्के का वार्षिक कारोबार 20 अरब रुपये के करीब पहुंच चुका है। मक्का का उपयोग दवा,
फीड और अन्य सामग्री बनाने में होता है, जिससे कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां से मक्का
खरीदने आती हैं।
केला भी इस क्षेत्र की प्रमुख
नकदी फसलों में से एक है। यदि मक्का और केला से जुड़े फूड प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित
किए जाएं, तो न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी कई
गुना बढ़ जाएंगे।
बदलाव की ओर बढ़ते कदम
सरकार की पहल और प्रशासन के हालिया
प्रयासों से पूर्णिया और कोसी के किसानों में एक नई उम्मीद जगी है। स्टार्ट-अप पूर्णिया
अभियान ने किसानों और उद्यमियों को नए अवसर दिए हैं। यह अभियान मखाना के साथ-साथ अन्य
कृषि उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा दे रहा है।
निष्कर्ष
पूर्णिया और कोसी क्षेत्र में
कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना ने किसानों को न केवल बेहतर भविष्य का सपना दिखाया
है, बल्कि उनके उत्पादों को बाजार और मुनाफा दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। मखाना,
मक्का और केला जैसे उत्पादों के लिए फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना से यह क्षेत्र
तेजी से प्रगति की ओर बढ़ रहा है। सरकार की इन पहलों से यह स्पष्ट है कि आने वाले समय
में पूर्णिया और कोसी क्षेत्र कृषि और उद्योग के संगम का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनेंगे।
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