नई दिल्ली/कुवैत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
हाल ही में कुवैत का दो दिवसीय दौरा पूरा किया, जो भारतीय कूटनीति में एक ऐतिहासिक
कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह भारत के किसी भी प्रधानमंत्री का 43 वर्षों में
पहला दौरा था, इससे पहले 1981 में इंदिरा गांधी कुवैत गई थीं। कुवैत के प्रधानमंत्री
अहमद अब्दुल्लाह अल-अहमद अल-सबाह ने पीएम मोदी को विदा करने के लिए एयरपोर्ट पर उनका
स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का प्रतीक बना।
पीएम मोदी ने इस दौरे को बेहद
महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अब भारत और कुवैत एक रणनीतिक साझेदार बन चुके हैं। कुवैत
की 43 लाख की आबादी में 10 लाख से ज्यादा भारतीय हैं, और यहां के श्रमिकों में भारतीयों
का योगदान 30 प्रतिशत है। इस दौरे के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के
आर्थिक संबंधों में और गति आएगी, खासकर रक्षा, ऊर्जा, और फार्मा सेक्टर में।
थिंक टैंक 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन'
के उपनिदेशक कबीर तनेजा के मुताबिक, भारत और कुवैत के बीच रक्षा साझेदारी में वृद्धि
होगी और फार्मा सेक्टर से भारत का निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि 2023 में भारत दुनिया का
तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उत्पादक देश था। कुवैत टाइम्स में डॉ. ख़ालिद ए मेहदी ने लिखा
कि भारत और कुवैत के बीच व्यापार 2023-2024 में 10.479 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें
सालाना 34.78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कुवैत और भारत के रिश्ते केवल
व्यापार तक सीमित नहीं हैं। कुवैत में भारतीयों की एक बड़ी संख्या है, जिनमें इंजीनियर
और वित्तीय क्षेत्र के पेशेवर भी शामिल हैं। डॉ. मेहदी ने यह भी उल्लेख किया कि भारत
का कुवैत के कारोबारियों के लिए एक अहम देश बनना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि 20वीं
सदी में बॉम्बे (अब मुंबई) कुवैती व्यापारियों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
पीएम मोदी के कुवैत दौरे को लेकर
कुवैत के मीडिया में भी व्यापक चर्चा हुई। कुवैत यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. हाइला
अल-मेकाइमी ने इस पर लिखा कि मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद खाड़ी देशों
के साथ भारत के रिश्तों को नए आयाम दिए हैं। उन्होंने खाड़ी देशों को व्यक्तिगत रूप
से संबोधित किया, जैसे कि 2015 में यूएई के शासक के साथ मोटर ड्राइव करना, जिससे रिश्तों
को और प्रगाढ़ किया।
कुवैत के मीडिया ने पीएम मोदी
की यात्रा को भारतीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना है। इससे पहले, मोदी ने जीसीसी
के अन्य देशों का दौरा किया था, और अब कुवैत में अपनी यात्रा पूरी की। इन देशों के
साथ भारत का संबंध अब केवल ऊर्जा, व्यापार, और प्रवासियों तक सीमित नहीं है, बल्कि
रक्षा, निवेश और राजनीति तक भी पहुंच चुका है।
यह दौरा कुवैत और भारत के बीच
पुराने और गहरे रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे
दोनों देशों के बीच भविष्य में और भी अधिक सहयोग की संभावना है।
फोटो साभार: गूगल
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