दोस्तो, आज मैं जिस मुद्दे पर बात करने जा रहा हूं, वह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। गौर से देखिए, सुनिए और विचार कीजिए कि क्या ये सही हो रहा है? या फिर गलत।

हाल ही में समाचार पत्र में छपी एक खबर ने मुझे चौंका दिया। एक आदमी ने भारत के एक मशहूर क्रिकेटर पर आरोप लगाया कि वो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं इसलिए "खालिस्तान मुर्दाबाद" नहीं बोल सकते।

एक प्रकार से उस आदमी ने अपने आरोप में ये साबित करने की कोशिश की है कि खालिस्तान, पाकिस्तान से संचलित होता है। तो इसका सीधा मतलब होता है कि अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को निशाना बनाया जा रहा है और कहना ये चाह रहा है कि क्रिकेटर को “पाकिस्तान मुर्दाबाद” बोलना चाहिए। यह इस प्रकार का कोई इकलौता केस नहीं है, इस प्रकार के बयान पढ़ने और सुनने को यदा - कदा मिल ही जाते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या देशभक्त होने के लिए किसी और देश को गाली देना जरूरी है? क्या देशप्रेम, सिर्फ नफरत से साबित होता है?

अगर यही मानक है, तो हमारे देश में कई लोग "भारत माता की जय" नहीं बोलते—तो क्या वे देशद्रोही हो गए? कुछ लोग राष्ट्रगान के समय खड़े नहीं होते, तो क्या वे भारत से प्यार नहीं करते? अगर आपको लगता है कि ऐसा करना देशद्रोह है, तो फिर आपने उन पर मुकदमा क्यों नहीं किया?

भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, और पाकिस्तान भी एक संप्रभु राष्ट्र है। हमारा उससे राजनीतिक और कूटनीतिक टकराव हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें एक पूरे देश के अस्तित्व को ही नकारना चाहिए। आप पाकिस्तान जिंदाबाद न कहें, यह आपका अधिकार है, लेकिन "मुर्दाबाद" कहना कहां तक सही है?

सोचिए, अगर कोई पाकिस्तानी नागरिक "हिंदुस्तान मुर्दाबाद" कहता है, तो हमें गुस्सा आता है, हमारे तन – बदन में आग लगने लगती है । तो फिर वही बात हम कहें, तो हमें गर्व क्यों महसूस होता है? क्या हमारी देशभक्ति सिर्फ दूसरे देश के प्रति घृणा से परिभाषित होगी? अगर ऐसा है, तो यह सिर्फ घृणा है, देशभक्ति नहीं।

जिस क्रिकेटर ने अपने खून-पसीने से भारत के लिए खेला, देश का नाम रोशन किया, क्या उसे इस तरह 'देशद्रोही' कहकर निशाना बनाना उचित है? अगर हम किसी पर ऐसे आरोप लगा सकते हैं, तो हमें, पहले खुद से पूछना चाहिए कि हमने देश के लिए क्या किया है? क्या हम साबित कर सकते हैं कि हम सच्चे देशभक्त हैं और हमने कभी कोई गलत काम नहीं किया जो देश हित में ना हो? अगर नहीं, तो हमें दूसरों पर उंगली उठाने से पहले सोचना चाहिए।

मुझे तो लगता है कि क्रिकेटर ने सही किया जो उन्होंने ऐसी मानसिकता के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। इस तरह की सोच पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ नफरत को बढ़ावा देती है।

हमारी सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम अपनी आलोचना सहन नहीं कर सकते, लेकिन दूसरों की बेइज्जती करने में खुशी महसूस करते हैं। हम चाहते हैं कि कोई भी हिंदुस्तान के खिलाफ कुछ न बोले, लेकिन खुद जब चाहें किसी और देश को गाली दे सकते हैं। यह दोहरा मापदंड कब तक चलेगा?

भारत में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हम किसी को भी जब चाहें, देशद्रोही घोषित कर दें?

मैं भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से अपील करता हूँ कि बोलने और लिखने की स्वतंत्रता पर कुछ आवश्यक सीमाएं तय की जाएंकिसी पर झूठा देशद्रोह का आरोप लगाना अपने आप में एक गंभीर अपराध माना जाना चाहिए। वरना, लोग इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगेंगे और समाज में नफरत फैलती रहेगी।

आपकी क्या राय है?
क्या किसी को भी सिर्फ एक नारे के आधार पर 'देशद्रोही' कहना सही है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं।   

वीडियो के लिए यहाँ क्लिक करें: https://youtu.be/NYdmH6KgOO4