नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बीजेपी और केंद्रीय गृहमंत्री
अमित शाह पर विभाजनकारी राजनीति करने के गंभीर आरोप लगाए। बुधवार को संसद भवन में पत्रकारों
से बातचीत करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में धर्म,
जाति और सांप्रदायिक मुद्दों को भुनाने का प्रयास करती है। उन्होंने इसे देश के विकास
और स्थिरता के लिए खतरनाक करार दिया।
धर्म और जाति की राजनीति को बढ़ावा
पप्पू यादव ने कहा कि बीजेपी
बार-बार कब्रिस्तान, श्मशान, ईद, बकरीद, जिन्ना और पाकिस्तान जैसे मुद्दे उठाकर समाज
में नफरत फैलाने का काम करती है। उन्होंने कहा, “हर चुनाव के वक्त ये मुद्दे उभर आते
हैं ताकि लोगों के बीच विभाजन हो और वोट बैंक की राजनीति को साधा जा सके।” उनका मानना
है कि यह प्रवृत्ति न केवल समाज को विभाजित करती है, बल्कि देश की एकता और अखंडता को
भी कमजोर करती है।
हर राज्य में अलग एजेंडा
पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि
बीजेपी हर राज्य में एक अलग एजेंडा लेकर जाती है। उन्होंने कहा, “हरियाणा में जाकर
जाटों को, पंजाब में सिखों को, महाराष्ट्र में मराठियों को और यूपी-बिहार में यादवों
को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश होती है। धर्म और जाति आधारित मुद्दे खड़े कर चुनावी
लाभ लेना इनकी प्राथमिकता है। यह नीति समाज को स्थिरता देने के बजाय और अधिक विभाजित
कर रही है।”
विकास के मुद्दे गायब
उन्होंने संविधान का हवाला देते
हुए कहा कि भारत का संविधान धर्म और जाति के भेदभाव से ऊपर उठकर समाज के विकास और एकता
की बात करता है। उन्होंने अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए
कहा, “वहां धर्म और जाति के मुद्दे नहीं उठते, बल्कि शिक्षा, रोजगार और विकास पर चर्चा
होती है। लेकिन भारत में नेताओं का ध्यान सिर्फ नफरत और ध्रुवीकरण पर केंद्रित है।
ऐसे में देश कैसे आगे बढ़ सकता है?”
वास्तविक मुद्दे नजरअंदाज
पप्पू यादव ने यह भी आरोप लगाया
कि बीजेपी सरकार किसानों, बेरोजगारी और आर्थिक विकास जैसे वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज
करती है। उन्होंने कहा, “जब विकास की बात होती है, तो जाति जनगणना की बात क्यों नहीं
होती? समाज के कमजोर वर्गों को सुविधाएं कैसे दी जाएं, इस पर कभी चर्चा नहीं होती।
लेकिन चुनावी समय में ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं जो समाज में घृणा फैलाने का काम करते
हैं। असल मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय नफरत और विभाजन को बढ़ावा दिया जाता है।”
सत्ता का उपयोग राजनीतिक लाभ
के लिए
उन्होंने अमित शाह और बीजेपी
की नीतियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इनका एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक फायदे
के लिए सत्ता का उपयोग करना है। उन्होंने कहा, “सरकार की नीतियां आम जनता की भलाई के
लिए नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक एजेंडे को साधने के लिए बनाई जा रही हैं।”
निष्कर्ष: स्थिरता के लिए चेतावनी
पप्पू यादव ने कहा कि देश के
नेताओं को धर्म और जाति आधारित राजनीति छोड़कर विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों
पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह विभाजनकारी राजनीति जारी रही,
तो समाज और देश के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उनका यह बयान भारतीय राजनीति
में विचार-विमर्श और आत्ममंथन का एक अहम मुद्दा बन सकता है।
चित्र साभार: गूगल
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