नई दिल्ली: "एक देश, एक चुनाव" बिल को लेकर भारतीय राजनीति में हलचल मची हुई है। मोदी सरकार इस बिल को 17 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने जा रही है। हालांकि विपक्ष इसके विरोध की पूरी तैयारी में है, जिससे एक बार फिर संसद में हंगामे की स्थिति बन सकती है।

 

1. बिल की मुख्य विशेषताएँ

  • लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।
  • बिल को दो चरणों में लागू करने की योजना है:
    1. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे।
    2. 100 दिनों के भीतर दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराए जाएंगे।
  • केंद्र सरकार का तर्क है कि इससे चुनाव पर खर्च में कमी आएगी और प्रशासनिक बोझ घटेगा।

 

2. सरकार की तैयारी

  • केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा में इस बिल को पेश करेंगे।
  • भाजपा ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है, जिससे पार्टी के सभी सांसदों की सदन में उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
  • NDA के घटक दलों का समर्थन सरकार को मिल चुका है, जिससे यह बिल लोकसभा में आसानी से पास होने की संभावना है।
  • यदि विवाद बढ़ता है, तो सरकार बिल को संसदीय समिति के पास भेज सकती है।

 

3. विपक्ष का रुख

  • विपक्षी दलों ने इस बिल को "लोकतंत्र के खिलाफ" और "संघीय ढांचे" के लिए खतरा बताया है।
  • विपक्ष का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से स्थानीय मुद्दे दब जाएंगे और राष्ट्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ जाएगा।
  • कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियाँ लोकसभा में विरोध की रणनीति बना चुकी हैं, जिससे सदन में हंगामे की संभावना है।

 

4. "एक देश, एक चुनाव" का असर

  • लाभ:
    • बार-बार चुनावों पर खर्च होने वाला भारी धन बच सकेगा
    • प्रशासनिक असुविधा कम होगी।
    • देश के विकास कार्यों में रुकावटें कम होंगी।
  • चुनौती:
    • सभी राज्यों के कार्यकाल को समान अवधि तक बनाए रखना एक बड़ा मुद्दा है।
    • क्षेत्रीय पार्टियाँ इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मान रही हैं।

 

5. पृष्ठभूमि

  • सितंबर 2023 में मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।
  • समिति ने "एक देश, एक चुनाव" की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट सौंपी थी।
  • केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

 

6. राजनीतिक मायने

  • भाजपा के लिए यह बिल राजनीतिक एजेंडे का अहम हिस्सा है।
  • विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के केंद्रीकरण की ओर कदम बता रहा है।
  • अगर यह बिल कानून बनता है तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव होगा।

 

निष्कर्ष

"एक देश, एक चुनाव" बिल भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार की ओर इशारा करता है, लेकिन इसका राजनीतिक विरोध सरकार के लिए चुनौती बन सकता है। मंगलवार को संसद में इसका विरोध और समर्थन देखने लायक होगा, क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति में आगे और गर्माने वाला है।