नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 18 दिसंबर 2024 को विशेष प्रतिनिधि वार्ता की। पाँच साल के लंबे अंतराल के बाद आयोजित इस वार्ता में दोनों देशों ने ‘सार्थक चर्चा’ करते हुए छह सूत्री आम सहमति पर सहमति जताई। यह बैठक पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

सीमा पर शांति और स्थिरता की पहल

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास की ओर ले जाने के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता दोहराई। सीमा विवाद को व्यापक द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में हल करने की आवश्यकता पर सहमति जताई गई। इसके अलावा, दोनों देशों ने 2005 में सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के तहत निष्पक्ष और परस्पर स्वीकार्य समाधान खोजने पर जोर दिया।

 

विश्वास बहाली और सहयोग को बढ़ावा

बैठक में सीमा प्रबंधन को बेहतर बनाने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने और सीमा पर स्थायी शांति व स्थिरता के लिए नियमों को परिष्कृत करने पर सहमति हुई। तिब्बत में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा पुनः शुरू करने, नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने और सीमा पार सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर भी चर्चा की गई।

 

द्विपक्षीय संवाद का नया दौर

दोनों देशों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने और अगले वर्ष भारत में विशेष प्रतिनिधि बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। इसके लिए समय का निर्धारण राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि इस वार्ता ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

 

संबंध सुधार की दिशा में नई उम्मीदें

पिछले चार वर्षों में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध और जून 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद यह पहली ठोस वार्ता थी। 21 अक्टूबर 2024 को सैनिकों के पीछे हटने और गश्त समझौते के बाद यह बैठक हुई। इस समझौते का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में किया। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने भी जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की।

 

वार्ता का ऐतिहासिक महत्व

भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा को सुलझाने के लिए 2003 में विशेष प्रतिनिधियों का तंत्र स्थापित किया गया था। अब तक इस तंत्र की 22 बैठकें हो चुकी हैं। यह 23वीं बैठक थी, जिसने दोनों देशों को संबंध सुधार के लिए सकारात्मक दिशा प्रदान की।

 

निष्कर्ष: स्थिरता और शांति का नया अध्याय

इस वार्ता ने न केवल सीमा विवाद को हल करने की दिशा में नई उम्मीदें जगाईं, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को स्वस्थ और स्थिर बनाने का मार्ग भी प्रशस्त किया। भारत-चीन संबंधों में यह वार्ता एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है, जिसमें कूटनीति और सहयोग के माध्यम से चुनौतियों का समाधान खोजने की दिशा में ठोस प्रयास किए गए हैं।

 

चित्र साभार: गूगल