नई दिल्ली: कभी गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले मणिशंकर अय्यर अब कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व के लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं। उनके हालिया बयान न केवल कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेतृत्व पर भी नए सवाल खड़े कर रहे हैं। अय्यर ने अब ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त बताया है, जिससे कांग्रेस के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर हलचल मच गई है।

 

ममता बनर्जी के नेतृत्व का समर्थन

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में कहा कि कांग्रेस को 'इंडिया' गठबंधन का नेता बनने की महत्वाकांक्षा छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने ममता बनर्जी को इस भूमिका के लिए सबसे योग्य नेता बताते हुए कहा, “जो भी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहता है, उसे करना चाहिए। ममता बनर्जी में नेतृत्व की काबिलियत है और अन्य नेताओं में भी यह क्षमता मौजूद है।” अय्यर के इस बयान को विपक्षी दलों के भीतर कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाने के रूप में देखा जा रहा है।

 

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस नेतृत्व, विशेषकर राहुल गांधी, लगातार चुनावी हार और संगठनात्मक कमजोरियों के कारण आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। अय्यर ने यह भी कहा कि कांग्रेस को अपनी ‘तारीफ कल्चर’ से बाहर निकलने की जरूरत है, क्योंकि गठबंधन में अन्य पार्टियों की भी अहम भूमिका है।

 

गांधी परिवार पर निशाना और मोहभंग

अय्यर का गांधी परिवार के खिलाफ तीखा रुख किसी से छिपा नहीं है। हाल के दिनों में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उनका राजनीतिक करियर बनाया और खत्म भी कर दिया। उन्होंने सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि उन्हें 10 वर्षों तक उनसे मिलने नहीं दिया गया। राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी उनका भरोसा टूटता हुआ नजर आ रहा है।

 

अय्यर का कहना है कि कांग्रेस अब उन्हें महत्व नहीं देती और पार्टी में उनकी पूछ खत्म हो चुकी है। इस स्थिति से नाराज होकर, वे अब खुलेआम गांधी परिवार और पार्टी नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं। उनका यह बदला हुआ रुख भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा के कांग्रेस में शामिल होने से पहले की स्थिति की याद दिलाता है।

 

कांग्रेस के लिए बढ़ती चुनौतियां

अय्यर का ममता बनर्जी को समर्थन कांग्रेस के लिए नए सिरदर्द का कारण बन सकता है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का नेतृत्व कांग्रेस के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल है, लेकिन अय्यर के बयानों ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया है। ममता बनर्जी को लालू यादव और शरद पवार जैसे नेताओं का भी समर्थन मिला हुआ है, जिससे कांग्रेस को गठबंधन में अपनी भूमिका के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

 

अय्यर का भविष्य और कांग्रेस की रणनीति

मणिशंकर अय्यर का बार-बार गांधी परिवार पर हमला करना और विपक्षी नेताओं की प्रशंसा करना यह दर्शाता है कि उनकी राजनीतिक प्राथमिकताएं अब बदल चुकी हैं। उनके इस रवैये से कांग्रेस को रणनीतिक रूप से निपटना होगा ताकि पार्टी और गठबंधन दोनों में उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे।

 

अय्यर का यह बदला हुआ रुख कांग्रेस के लिए सबक है कि भीतर से उठने वाले असंतोष को समय रहते संभालने की जरूरत है, अन्यथा यह पार्टी की साख और एकता को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

फोटो साभार: गूगल