पटना: सूत्रों के हवाले से पता चला
है कि INDI गठबंधन में भीतरखाने बहुत उथल-पुथल मची हुई है। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव
हारने के बाद INDI गठबंधन के कई सहयोगी पार्टी के नेता राहुल गांधी से खासे नाराज दिख
रहे हैं। राहुल के बेतुके बयान और मुद्दे से भी गठबंधन सहमत नजर नहीं आ रहा है। कानाफूसी
ये भी चल रही है कि INDI गठबंधन का नेतृत्व बदल दिया जाय क्यूंकि वर्तमान नेतृत्व से
गठबंधन को कोई खास फायदा नजर नहीं आ रहा है। आपको बता दें कि अभी गठबंधन का नेतृत्व
राहुल गांधी के हाथ में है। एक बार ममता बनर्जी ने भी कहा था कि अगर राहुल नेतृत्व
नहीं संभाल पा रहे हैं तो वो पीछे हट जाएं। मैं बेहतर तरीके से संभाल सकती हूँ। आज
लालू यादव ने भी कह ही दिया कि INDI गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए।
ममता बनर्जी की नाराजगी:
पश्चिम बंगाल
की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने हाल ही में हरियाणा,
महाराष्ट्र और उपचुनावों में INDIA गठबंधन के खराब प्रदर्शन पर कड़ी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा,
"मैंने INDIA गठबंधन बनाया है। अगर इसे सही तरीके से नहीं चलाया जा सकता, तो
मैं बंगाल से ही इसका नेतृत्व करने के लिए तैयार हूं।"
उनके इस बयान ने गठबंधन में नेतृत्व को लेकर बहस को तेज कर दिया है।
INDI गठबंधन में नेतृत्व को लेकर
विवाद क्यों?
- ममता
बनर्जी का नेतृत्व प्रस्ताव:
- RJD प्रमुख लालू यादव ने ममता बनर्जी को गठबंधन
का नेता बनाने का सुझाव दिया।
- तेजस्वी यादव सहित अन्य नेताओं ने भी इस विचार का
समर्थन किया।
- कांग्रेस
की भूमिका पर सवाल:
- कांग्रेस पर आरोप है कि वह गठबंधन में अपनी स्थिति
को लेकर असहज है।
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर छोटे
दलों में मतभेद हैं।
- TMC
का बढ़ता प्रभाव:
- TMC ने पश्चिम बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया है।
- लोकसभा चुनाव में 29 सीटें जीतने के बाद ममता बनर्जी
का आत्मविश्वास बढ़ा है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
बिहार में कांग्रेस के प्रदेश
अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा,
"ममता बनर्जी की पार्टी बंगाल तक सीमित है। नेशनल लेवल पर उनका व्यक्तित्व
उतना बड़ा नहीं है।"
कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि ममता का नेतृत्व गठबंधन को कमजोर कर सकता है, क्योंकि
उनकी पहचान एक क्षेत्रीय नेता तक सीमित है।
BJP का रुख:
BJP नेताओं ने विपक्षी गठबंधन
की एकता पर तंज कसते हुए कहा कि नेतृत्व बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बिहार के डिप्टी
CM विजय सिन्हा ने कहा,
"यह भ्रष्टाचारियों का गठबंधन है। चेहरा बदलने से इनकी नैतिकता या रणनीति नहीं
बदलेगी।"
INDI गठबंधन का गठन और प्रदर्शन:
- गठन:
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी दलों ने PM मोदी को हराने के लिए मिलकर गठबंधन बनाया। इसे Indian National Developmental Inclusive Alliance (INDIA) नाम दिया गया। - प्रदर्शन:
लोकसभा चुनाव में INDIA ने कुल 234 सीटें जीतीं, जिनमें कांग्रेस को 99 और TMC को 29 सीटें मिलीं।
क्या है विवाद का असल कारण?
- नेतृत्व
का प्रश्न:
- राहुल गांधी की स्वीकार्यता पर सवाल उठ रहे हैं।
- ममता बनर्जी ने बेहतर नेतृत्व का दावा किया है।
- क्षेत्रीय
और राष्ट्रीय राजनीति का टकराव:
- TMC और अन्य क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय राजनीति में
अधिक स्थान चाहते हैं।
- कांग्रेस गठबंधन में अपनी भूमिका को लेकर सशंकित
है।
- आंतरिक
मतभेद:
- सीट बंटवारे और रणनीतिक फैसलों पर सहमति का अभाव।
- ममता बनर्जी का "एकला चलो रे" का रुख।
क्या नेतृत्व बदलने से फर्क पड़ेगा?
- ममता बनर्जी का नेतृत्व: उनका प्रभाव पश्चिम बंगाल तक सीमित है, लेकिन गठबंधन में नई ऊर्जा ला सकती हैं।
- कांग्रेस
का नेतृत्व:
कांग्रेस के पास राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा संगठनात्मक ढांचा है। राहुल गांधी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है।
हालांकि, गठबंधन में नेतृत्व
बदलने का फैसला कठिन है, क्योंकि यह छोटे और बड़े दलों के बीच विश्वास और संतुलन पर
निर्भर करता है।
भविष्य की दिशा:
- नेतृत्व
पर स्पष्टता:
गठबंधन को अपने नेतृत्व के सवाल को सुलझाना होगा। - सीट
बंटवारे पर सहमति:
यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के बीच कोई विवाद न हो। - आम
एजेंडा तैयार करना:
PM मोदी के खिलाफ एक मजबूत और स्पष्ट एजेंडा पेश करना होगा।
निष्कर्ष:
INDI गठबंधन के भीतर नेतृत्व
को लेकर मतभेद उसकी मजबूती पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच
बढ़ते तनाव का समाधान जल्दी करना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो यह विवाद आगामी लोकसभा
चुनावों में गठबंधन की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
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