नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को कहा कि भारत आज शिक्षा, शोध, स्वास्थ्य सेवा और यूनानी चिकित्सा पद्धति में औषधियों के निर्माण के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बन चुका है। उन्होंने कहा कि जहां यूनान और मध्य एशिया में यूनानी चिकित्सा का अधिक उपयोग नहीं हो रहा, वहीं भारत में यह प्रणाली तेजी से विकसित हो रही है और लोगों का विश्वास इसमें बढ़ रहा है।

 

राष्ट्रपति नई दिल्ली के विज्ञान भवन में यूनानी दिवस के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। यह सम्मेलन "एकीकृत स्वास्थ्य समाधान के लिए यूनानी चिकित्सा में नवाचार - एक नई दिशा" विषय पर आधारित था।

 

हकीम अजमल खां को दी श्रद्धांजलि:

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक हकीम अजमल खां को याद करते हुए कहा कि उनके योगदान के सम्मान में 2016 से हर साल 11 फरवरी को यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हकीम अजमल खां के नवाचारों और अथक प्रयासों के कारण ही भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति को व्यापक रूप से अपनाया गया।

 

भारत में यूनानी चिकित्सा का बढ़ता प्रभाव:

राष्ट्रपति ने बताया कि यूनानी चिकित्सा पद्धति से जुड़े अनुसंधानकर्ता और चिकित्सक आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपना रहे हैं, जिससे यह प्रणाली और प्रभावी बन रही है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यूनानी चिकित्सा में साक्ष्य आधारित शोध प्रवृत्तियों और आयुष चिकित्सा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के संभावित उपयोग पर विचार किया जा रहा है।

 

सरकार की नीतियों से हो रहा विकास:

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, जहां सभी चिकित्सा प्रणालियों को समान रूप से महत्व दिया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के तहत यूनानी सहित आयुष चिकित्सा प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

 

राष्ट्रपति ने बताया कि भारतीय चिकित्सा पद्धति के राष्ट्रीय आयोग के मार्गदर्शन में कई यूनानी चिकित्सा संस्थानों में अध्ययन और शोध कार्य जारी हैं। साथ ही एमडी और पीएचडी कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं, जो इस चिकित्सा प्रणाली को और मजबूती प्रदान करेंगे।

 

सम्मेलन में शामिल हुए कई वरिष्ठ मंत्री:

इस कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह और आयुष मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव भी उपस्थित थे।

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि यूनानी चिकित्सा विज्ञान की नई पीढ़ी प्राचीन ज्ञान और आधुनिक शोध के समन्वय से इस प्रणाली को और सशक्त बनाएगी।