अलीगढ (GPNewsBihar Desk): अलीगढ़
मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में इस वर्ष पहली बार आधिकारिक रूप से होली का आयोजन किया
गया। इस कार्यक्रम को लेकर पिछले 12 दिनों से भारी विवाद चल रहा था, लेकिन अंततः छात्रों
और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच सहमति बनी और होली का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
इस आयोजन में न केवल छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, बल्कि परिसर में ‘भारत माता
की जय’ के नारे भी गूंजे, जो एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।
होली आयोजन को लेकर विवाद और
सहमति
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का
इतिहास काफी समृद्ध है और यह विश्वविद्यालय अपनी मुस्लिम पहचान के लिए जाना जाता है।
लेकिन इस बार जब छात्रों के एक वर्ग ने परिसर में होली मनाने की अनुमति मांगी, तो इस
पर विवाद खड़ा हो गया। विश्वविद्यालय प्रशासन को डर था कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़
सकता है।
हालांकि, दूसरी ओर, कई छात्रों
और पूर्व छात्रों ने इस विचार का समर्थन किया कि AMU को सभी धर्मों के त्योहारों का
सम्मान करना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी
रही। कई छात्र संगठनों ने यह दलील दी कि अगर विश्वविद्यालय में ईद, क्रिसमस और अन्य
पर्व मनाए जाते हैं, तो होली का आयोजन करने में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
कैसा रहा होली का पहला उत्सव?
12 दिनों के विवाद के बाद अंततः
प्रशासन ने अनुमति दी और यह पहला अवसर था जब AMU में आधिकारिक रूप से होली मनाई गई।
विश्वविद्यालय के कला संकाय (Arts Faculty) के प्रांगण में होली उत्सव का आयोजन किया
गया, जिसमें विभिन्न समुदायों के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां:
- रंगों
की होली खेली गई और छात्रों ने गुलाल उड़ाकर इस पर्व का आनंद लिया।
- पारंपरिक
लोकगीत गाए गए, जिनमें कई गैर-हिंदू छात्रों ने भी हिस्सा लिया।
- ‘भारत
माता की जय’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ जैसे नारे लगाए गए, जिससे पूरे माहौल में एकजुटता
का संदेश फैला।
- इस
आयोजन को सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में देखा गया, जिससे यह एक ऐतिहासिक
घटना बन गई।
क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन?
AMU प्रशासन ने इस आयोजन को लेकर
कहा कि यह पहल छात्रों की आपसी समझ और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए की
गई थी। कुलपति ने भी इस मौके पर अपने संदेश में कहा कि विश्वविद्यालय एक अकादमिक संस्थान
है, जहां सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान किया जाना चाहिए।
हालांकि, कुछ कट्टरपंथी संगठनों
ने इस आयोजन का विरोध किया और इसे AMU की परंपराओं के खिलाफ बताया। बावजूद इसके, कार्यक्रम
पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और छात्रों ने इसे बेहद सकारात्मक पहल बताया।
सांप्रदायिक सौहार्द की नई शुरुआत
इस आयोजन से यह संदेश गया कि
भारत की विविधता ही उसकी ताकत है और सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर त्योहार मना सकते
हैं। इससे अन्य विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे अपने
परिसर में समानता और भाईचारे को बढ़ावा दें।
AMU में पहली बार होली का आयोजन
न केवल एक त्योहार का जश्न था, बल्कि यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की सशक्त अभिव्यक्ति
भी थी।
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