नई दिल्‍ली: भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक भरोसा तेजी से बढ़ रहा है। यह विश्वास प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के आंकड़ों से स्पष्ट है, जो पिछले दो दशकों में लगातार ऊंचाई छू रहा है। विशेष रूप से, 2000 के बाद से विदेशी निवेशकों ने भारत को एक सुरक्षित और लाभदायक निवेश गंतव्य के रूप में चुना है। 2024 में भी इस दिशा में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।

 

FDI के प्रमुख आंकड़े और उपलब्धियां:


1. विदेशी निवेश में ऐतिहासिक उछाल
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच भारत में एफडीआई प्रवाह 1,000 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 85 लाख करोड़ रुपये) को पार कर गया।

  • इस अवधि में कुल एफडीआई राशि 1,033.40 अरब अमेरिकी डॉलर रही।
  • इसमें इक्विटी, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं।

 

2. कोविड-19 के बावजूद निवेश जारी
हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान निवेश में गिरावट देखी गई थी, लेकिन 2024 के शुरुआती छह महीनों में एफडीआई में 29% की वृद्धि ने भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाया है।

 

देशवार एफडीआई की हिस्सेदारी:

भारत में विदेशी निवेश में विभिन्न देशों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

  • मॉरीशस: 25% हिस्सेदारी (177.18 अरब अमेरिकी डॉलर या 15 लाख करोड़ रुपये)
  • सिंगापुर: 24% हिस्सेदारी (167.47 अरब अमेरिकी डॉलर या 14.23 लाख करोड़ रुपये)
  • अमेरिका: 10% हिस्सेदारी (67.8 अरब अमेरिकी डॉलर)
    इसके अलावा नीदरलैंड (7%), जापान (6%), ब्रिटेन (5%), और यूएई (3%) का भी योगदान उल्लेखनीय है।

 

प्रमुख निवेश क्षेत्र:

एफडीआई का सबसे अधिक प्रवाह निम्नलिखित क्षेत्रों में हुआ:

  1. सेवा क्षेत्र
  2. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर
  3. दूरसंचार
  4. निर्माण और ऑटोमोबाइल
  5. रसायन और दवा उद्योग

 

बीते दशक में एफडीआई की छलांग:

2014 से 2024 के बीच भारत ने 667.4 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया। यह 2004-2014 की तुलना में 119% अधिक है।

  • विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह 165.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो 69% वृद्धि दर्शाता है।
  • इस उछाल से न केवल रोजगार के अवसर बढ़े बल्कि भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया गया।

 

भारत: निवेशकों का भरोसेमंद गंतव्य:

भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा के पीछे निम्नलिखित कारण हैं:

  1. आर्थिक सुधार और व्यापार नीतियां
  2. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप संस्कृति का विस्तार
  3. इन्फ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश
  4. विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान

 

निष्कर्ष

एफडीआई के बढ़ते आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत ने वैश्विक निवेशकों का भरोसा जीता है। भविष्य में, यह प्रवाह देश की आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगा। साथ ही, विदेशी निवेश भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार, तकनीकी उन्नति और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा।