नोएडा: नोएडा के सेक्टर-63 में नकली प्रोटीन सप्लीमेंट बनाने वाली एक फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारकर बड़ा खुलासा किया है। इस मामले ने लोगों की सेहत से जुड़े गंभीर खतरों को उजागर किया है।

घटना का विवरण:

नोएडा पुलिस ने सेक्टर-63 के जी-ब्लॉक स्थित एक कंपनी में नकली प्रोटीन बनाने का पर्दाफाश किया।

  • गिरफ्तारी:
    तीन आरोपी, साहिल यादव, हर्ष अग्रवाल, और अमित चौबे, गाजियाबाद के रहने वाले हैं।
  • बरामद सामान:
    पुलिस ने मौके से 35 प्रोटीन के डिब्बे, 2050 छोटे कैप्सूल के डिब्बे, 5500 खाली डिब्बे, 10 बोरी पाउडर, प्रिंटिंग मशीन, पैकिंग मशीन, और नकली लेबल व मुहर जब्त किए।
  • कार्यशैली:
    आरोपी नकली सप्लीमेंट्स को असली बताकर एनसीआर की दुकानों और जिम में सप्लाई करते थे।

असली और नकली प्रोटीन में फर्क कैसे करें?

  1. स्वाद:
    असली प्रोटीन में कोई अतिरिक्त स्वाद नहीं आता, जबकि नकली प्रोटीन मीठा लगता है।
  2. पानी में घुलनशीलता:
    • 300ML पानी में एक चम्मच पाउडर मिलाएं।
    • असली पाउडर पूरी तरह घुल जाता है।
    • नकली पाउडर में क्रिस्टल जम जाते हैं।
  3. ब्रांडिंग और बारकोड:
    • लेबल की स्पेलिंग और डिजाइन ध्यान से जांचें।
    • बारकोड स्कैन करके प्रोडक्ट की वैधता सुनिश्चित करें।
  4. LOT नंबर और सील:
    • LOT नंबर और प्रोडक्ट की संरचना की जांच करें।
    • पैकेजिंग की सील और होलोग्राम सही हैं या नहीं, यह जरूर जांचें।

नकली सप्लीमेंट के खतरे:

  • नकली सप्लीमेंट में हानिकारक पदार्थ मिलाए जा सकते हैं, जो किडनी और लिवर पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
  • बिना विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह के सप्लीमेंट का सेवन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • ओवरडोज से शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन, पाचन संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती हैं।

क्या करें?

  1. प्रामाणिक स्रोत से खरीदें:
    प्रतिष्ठित स्टोर या ब्रांड के अधिकृत डीलरों से ही प्रोटीन सप्लीमेंट खरीदें।
  2. विशेषज्ञ की सलाह लें:
    डॉक्टर या डायटीशियन से अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही सप्लीमेंट और उसकी खुराक के बारे में पूछें।
  3. लेबल और पैकेजिंग जांचें:
    हर बार खरीदने से पहले प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर लिखी जानकारी को ध्यान से पढ़ें।

निष्कर्ष

नोएडा में हुए इस खुलासे ने स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता पर बल दिया है। नकली प्रोडक्ट्स का सेवन न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करता है। सही जानकारी और सतर्कता ही इन खतरों से बचने का एकमात्र तरीका है।