दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर एक्साइज पॉलिसी का मुद्दा गरमा
गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया है कि इस नीति से दिल्ली के सरकारी
खजाने को 2026 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आम आदमी पार्टी (आप) और इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद
केजरीवाल पर तीखे आरोप लगाए।
बीजेपी के आरोप और अनुराग ठाकुर का बयान
बीजेपी ने एक्साइज पॉलिसी को लेकर आम आदमी पार्टी
पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में कथित
शराब घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 2026 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उन्होंने कैग
(CAG) की लीक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अरविंद केजरीवाल को इस घोटाले का सूत्रधार
करार दिया। अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि आप सरकार ने स्कूल और अस्पताल बनाने के बजाय
शराब की दुकानें खोलने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “आप पार्टी ने स्वच्छता और सुशासन
का वादा किया था, लेकिन नीतियों में भ्रष्टाचार और शराब घोटाले में उलझ गई। यह घोटाला
अभूतपूर्व है, क्योंकि मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम समेत कई मंत्रियों और विधायकों को
जेल जाना पड़ा।”
जेपी नड्डा का हमला
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी
आप सरकार पर सत्ता के नशे और कुशासन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “कैग रिपोर्ट में
हुए खुलासे बीजेपी द्वारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार संस्था द्वारा किए गए हैं। चाहे
शीशमहल हो या शराब घोटाला, आप सरकार की नीतियां केवल भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी
हैं।”
आप का पलटवार
बीजेपी के इन आरोपों पर आम आदमी पार्टी ने कड़ा
पलटवार किया। आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने बीजेपी के दावों को खारिज करते हुए कहा
कि “अनुराग ठाकुर ने जो कागजात लहराए हैं, उन्हें अभी तक किसी ने नहीं देखा। यह कैग
रिपोर्ट बीजेपी कार्यालय में ही बनाई गई है।”
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि पीएमएलए कोर्ट ने पहले
ही साफ कर दिया है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किसी भी घोटाले का कोई सबूत नहीं है।
उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास झूठे आरोप लगाने के अलावा कोई एजेंडा नहीं है।”
राजनीतिक सरगर्मी तेज
बीजेपी और आप के बीच जुबानी जंग ने दिल्ली चुनावों
से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का मुद्दा बना रही है,
जबकि आप इसे झूठा और बेबुनियाद आरोप बता रही है। इस मामले में दोनों दलों की ओर से
रोज नए बयान आ रहे हैं, जिससे यह मुद्दा और भी गर्म हो रहा है।
दिल्ली की जनता के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि
इस राजनीतिक खींचतान का असर चुनावों पर कितना पड़ता है।
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