लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)
के प्रमुख नेता और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने हाल ही में सोशल मीडिया पर भारतीय
जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) पर कड़ा प्रहार किया है। संसद
का शीतकालीन सत्र खत्म हो चुका है, लेकिन इस दौरान दिए गए बयानों पर सियासत अभी भी
गरमाई हुई है। आकाश ने गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,
और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके बयानों और कार्यों पर आड़े
हाथों लिया।
अमित शाह और राहुल-प्रियंका पर
निशाना
संसद में गृह मंत्री अमित शाह
द्वारा दिए गए बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए आकाश आनंद ने कहा कि यह बयान दलितों
और वंचितों के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने अमित शाह से सार्वजनिक
रूप से माफी मांगने की मांग की।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
पर हमला करते हुए आकाश ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने “नीली क्रांति” को एक “फैशन
शो” में बदल दिया है। आकाश ने आरोप लगाया कि दोनों नेताओं ने नीले रंग के कपड़े
पहनकर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति दिखावटी समर्थन जताने की कोशिश की है।
अरविंद केजरीवाल के वीडियो पर
आलोचना
अरविंद केजरीवाल द्वारा जारी
एक वीडियो जिसमें बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर उन्हें आशीर्वाद देते दिखाए गए, पर आकाश आनंद
ने कहा कि यह बाबा साहेब की छवि के साथ छेड़छाड़ है। उन्होंने इसे वोट बैंक की राजनीति
करार दिया और कहा कि दलितों और शोषितों के सम्मान के साथ ऐसा खिलवाड़ अस्वीकार्य है।
सोशल मीडिया पर तीखा बयान
आकाश आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“करोड़ों शोषितों, वंचितों और गरीबों के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर भगवान ही हैं। लेकिन वोटों के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करना आजकल फैशन बन गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में उनका अपमान किया, राहुल और प्रियंका ने हमारी नीली क्रांति को फैशन शो बनाया और अरविंद केजरीवाल ने बाबा साहेब की छवि के साथ छेड़छाड़ की। बीएसपी का मिशन दलितों के आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए जारी रहेगा। गृह मंत्री अमित शाह को पश्चाताप करना ही होगा।”
ओम प्रकाश राजभर का बयान
बीएसपी के आक्रामक तेवरों के
बीच, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा
किया। उन्होंने कहा:
“कांग्रेस ने अतीत में बाबा साहेब अंबेडकर का विरोध किया था। वही कांग्रेस अब उनके अनुयायी होने का दावा करती है, तो यह हास्यास्पद है। जिसने आपातकाल लगाया और संविधान का उल्लंघन किया, वह आज संविधान की दुहाई दे रही है। यह राजनीतिक स्वार्थ की पराकाष्ठा है।”
नीली क्रांति: वोटों की राजनीति
या सच्चा समर्थन?
आकाश आनंद के बयानों ने यह स्पष्ट
कर दिया है कि बीएसपी दलितों और वंचितों के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगी। उनका
यह बयान केवल एक राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि एक चुनौती है कि सभी पार्टियां दलित समाज
के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को केवल दिखावे से ऊपर उठकर प्रमाणित करें।
यह सियासी घटनाक्रम आगामी चुनावों
में दलित वोट बैंक के महत्व को भी उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएसपी
और अन्य दल इस विषय पर क्या रुख अपनाते हैं और इससे दलित राजनीति को किस दिशा में मोड़
मिलता है।
फोटो साभार: गूगल
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