पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों ने अब रफ्तार पकड़ ली है। जहां एक ओर एनडीए और महागठबंधन के बीच
सियासी टकराव अपने चरम पर है, वहीं दूसरी ओर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने सबको
चौंकाते हुए अपनी पार्टी के 40 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। चंद्रशेखर की यह पहल अन्य दलों की
तुलना में काफी पहले आई है, जिससे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
आजाद समाज पार्टी ने
बुधवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर 40 सीटों पर अपने
प्रत्याशियों की सूची साझा की। इस सूची में 10 मुस्लिम उम्मीदवारों को
टिकट देकर यह स्पष्ट संकेत दिया गया है कि पार्टी का मुख्य फोकस अल्पसंख्यक और
दलित वोट बैंक को साधने पर है।
घोषित प्रत्याशियों में
नरकटियागंज से मुख्यार मियां, सिकटा से मोनिउद्दीन आलम, केसरिया से विनय पासवान, पिपरा से मुमताज आलम, कुढ़नी से रवि कृष्णा, साहेबगंज से सरफुद्दीन मोहम्मद कासिम, मुजफ्फरपुर से शानू कुमार, कांटी
से इफ्तेखार ताबिश, सकरा से समता प्रकाश भारती और राजापाकड़ से डॉ. बिंदेश्वर राम शामिल हैं। ये
सभी प्रत्याशी सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं और पार्टी के सामाजिक न्याय आधारित
एजेंडे की ओर इशारा करते हैं।
इसके अलावा अन्य प्रमुख
उम्मीदवारों में हाजीपुर से शशि स्वराज, बगहा से महफूज आलम, फुलवारी
से नरेंद्र कुमार, मसौढ़ी से कुमार केशव चंद्र, आरा से प्रदीप कुमार, जगदीशपुर से सुरेश सिंह, शाहपुर से कृष्ण राम, चेनारी से अमित पासवान, सासाराम से शहजाद हुसैन, करगहर से राम प्रसाद, मोहनिया से शशिकांत कुमार, चैनपुर से अक्षय कुमार सिंह, रामगढ़ से हिसामुद्दीन अंसारी, कुटुम्भा से नवीन कुमार, गोह से
नागेश्वर प्रसाद और रजौली से हीरा रविदास शामिल हैं।
पार्टी ने हिसुआ से
धर्मेंद्र राजवंशी, सिकंदरा से नंदलाल कुमार, चकाई से प्रकाश कुमार, त्रिवेणीगंज से संतोष कुमार, सिंघेश्वर से बिट्टू कुमार राम, पूर्णिया से विक्रम राज, दमदहा
से मोहम्मद इस्तियाक आलम, किशनगंज से वसीम अकरम, कोढ़ा से आशीष कुमार, कल्याणपुर से वीरेंद्र कुमार राम, मोरवा से बैधनाथ साहनी, साहेबपुर
से राम प्रवेश कुमार और तरैया से राजेंद्र रोशन को भी चुनावी मैदान में उतारा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का
मानना है कि चंद्रशेखर आज़ाद की यह रणनीति सीधे तौर पर मुस्लिम-दलित समीकरण को
ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे वह बिहार की चुनावी राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।
जहां एक तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक-दूसरे पर
तीखे आरोपों की राजनीति में उलझे हुए हैं, वहीं चंद्रशेखर अपनी सधी
हुई और समय से पहले की गई रणनीति के जरिये मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में
लगे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि
आजाद समाज पार्टी की यह पहल क्या बड़े दलों को चुनौती दे पाएगी या फिर सीमित
क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगी।
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