नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा
में नेता प्रतिपक्ष
और रोहिणी विधानसभा
से भाजपा प्रत्याशी
विजेंद्र गुप्ता ने
आम आदमी पार्टी
की "शिक्षा क्रांति"
को मात्र ढकोसला
करार दिया है।
उन्होंने कहा कि
डबल स्टैंडर्ड रखने
वाली आम आदमी पार्टी के
कारण दिल्ली में
दस लाख ऐसे बच्चे हैं,
जिन्हें कभी किसी
स्कूल की दहलीज
तक नसीब नहीं
हुई।
विजेंद्र गुप्ता ने
सोमवार को दिल्ली
सरकार से सवाल किया ये
कैसी क्रांति है,
जिसमें दो सालों
में 9वीं और
11वीं क्लास के
तीन लाख बच्चों
को फेल कर दिया जाता
है, ताकि दसवीं
और बारहवीं क्लास
के रिजल्ट को
अच्छा बनाकर अपनी
झूठी शिक्षा क्रांति
की दुकान को
चलाया जा सके।
रोहिणी विधानसभा में
अपने चुनाव प्रचार
के दौरान मीडिया
कर्मियों से बात
करते हुए विजेंद्र
गुप्ता ने कहा कि आआपा
की सरकार ने
भाजपा के शासनकाल
में खोले गये
29 प्रतिभा विद्यालय बंद कर उनमें पढ़
रहे हजारों प्रतिभाशाली
छात्रों का भविष्य
बर्बाद कर दिया।
उन्होंने आआपा पर
आरोप लगाया कि
यह सरकार शिक्षा
क्रांति के नाम पर पैसे
की बर्बादी करती
है।
गुप्ता ने बताया
कि बवाना में
दिल्ली सरकार ने
45 करोड़ की लागत
से एसओएसई स्कूल
की इमारत बनवाई,
जिसमें डेढ़ साल
बाद भी कोई स्टूडेंट एडमीशन लेने
नहीं आया। न ही कोई
स्टाफ वहां पर रखा गया।
अब वह स्कूल
बंद पड़ा है।
आज वहां सिर्फ
चौकीदार ही बैठा हुआ नजर
आता है।
पीतमपुरा के कोहाट
एंक्लेव में 50 करोड़
की लागत से दो हजार
बच्चों के लिए ‘डॉ. भीमराव
अंबेडकर स्कूल आफ
स्पेशल एक्सीलेंस’ की
बिल्डिंग का निर्माण
करवाया लेकिन बहु
प्रचारित व प्रसारित
इस स्कूल का
भी खास इस्तेमाल
नहीं हो पाया और आज
वर्तमान में यहां
पर केवल दो सौ बच्चे
ही पढ़ रहे हैं।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली
सरकार हमेशा अपने
स्कूलों के रिजल्ट
को निजी स्कूलों
के मुकाबले बेहतर
होने का दम भरती रहती
है। उन्होंने कहा
कि दिल्ली सरकार
के राज्य में
कुल 1034 स्कूल हैं,
जिनका सालाना बजट
16,575 करोड़ रुपये है
और जिनमें 16.49 लाख
बच्चे पढ़ते हैं।
सरकार इन छात्रों
पर 63 हजार प्रति
छात्र के हिसाब
से सालाना खर्च
करती है। लेकिन
उन स्कूलों में
पर्याप्त संख्या में
शिक्षकों की व्यवस्था
नहीं कर पाती है। गुप्ता
ने बताया कि
इन स्कूलों में
वर्तमान में वाइस
प्रिंसिपल के स्वीकृत
1670 पदों में से
1094 पद खाली पड़े
हैं। -हि.स.-
नेता प्रतिपक्ष ने आआपा की शिक्षा क्रांति को बताया ढकोसला

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