नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में चुनाव संचालन नियम, 1961 में किए गए संशोधन को लेकर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में रिट याचिका दाखिल की। इस याचिका में कांग्रेस ने केंद्र सरकार के संशोधन को लोकतंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए खतरा बताया है।

 

संशोधन का विवरण और उसकी प्रभावशीलता

केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया। यह संशोधन भारत निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर किया गया है। नए नियम के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों, वेबकास्टिंग फुटेज, और उम्मीदवारों से जुड़ी वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी गई है।

 

सरकार ने इस कदम को "रिकॉर्ड के संभावित दुरुपयोग को रोकने" का उपाय बताया है। हालांकि, इस निर्णय का सीधा प्रभाव जनता की उन दस्तावेजों तक पहुंच पर पड़ा है, जो चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने में सहायक होते हैं।

 

कांग्रेस का आरोप: पारदर्शिता खत्म करने का प्रयास

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संशोधन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला कदम है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह संशोधन बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के एकतरफा तरीके से किया गया, जो संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा, "चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसका कर्तव्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। लेकिन इस तरह के संशोधन जनता को आवश्यक जानकारी से वंचित करते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।"

 

चुनावी पारदर्शिता पर बढ़ा विवाद

संशोधन के बाद अब आम जनता के लिए चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का निरीक्षण संभव नहीं होगा। यह कदम कई सवाल खड़े करता है, क्योंकि इन दस्तावेजों का सार्वजनिक निरीक्षण चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

 

संशोधन का सबसे बड़ा विवाद यह है कि यह आम नागरिकों के चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी को सीमित कर सकता है। हालांकि, प्रत्याशियों को इन दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी गई है, लेकिन जनता को इससे वंचित करना पारदर्शिता के मानकों को कमजोर कर सकता है।

 

कांग्रेस का कदम: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

कांग्रेस ने इस संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। पार्टी ने इस मामले में अदालत से हस्तक्षेप की अपील करते हुए उम्मीद जताई है कि शीर्ष अदालत लोकतंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही को बहाल करने में मदद करेगी।

 

कांग्रेस का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुरक्षित रखना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह कदम चुनाव आयोग की स्वायत्तता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है।

 

आगे की राह

इस विवाद के बीच अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो यह तय करेगी कि केंद्र सरकार का यह संशोधन लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता के अनुरूप है या नहीं। कांग्रेस के इस कदम से एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है।

 

यह मामला न केवल चुनावी प्रणाली की अखंडता का सवाल उठाता है, बल्कि जनता और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है।

 

फोटो साभार: गूगल