ताशकंद (उज्बेकिस्तान): लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने
रविवार को ताशकंद में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 150वीं सभा को संबोधित करते हुए
भारतीय संविधान के समावेशी और कल्याणकारी स्वरूप पर विस्तृत प्रकाश डाला। "सामाजिक
विकास और न्याय के लिए संसदीय प्रयास" विषय पर अपने मुख्य भाषण में उन्होंने
कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान मानता है, उन्हें समान अवसर प्रदान
करता है और वंचित तथा पिछड़े वर्गों को प्रगति की मुख्य धारा से जोड़ने की भावना रखता
है।
बिरला ने जोर देकर कहा कि भारत
की संसद ने हाल के वर्षों में ऐसे अनेक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं, जो सामाजिक
न्याय, सुरक्षा और सभी वर्गों के समावेशन को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने समाज के कमजोर
वर्गों के हितों की रक्षा के लिए संसद की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए 'दिव्यांगजन
अधिकार अधिनियम-2016', 'उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019' और
हाल ही में पारित 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023' जैसे कानूनों का विशेष उल्लेख किया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा
सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा पारित किए गए नए श्रम कानूनों और संहिताओं की भी
जानकारी दी। सभा में उपस्थित प्रतिनिधियों को उन्होंने रामनवमी की शुभकामनाएं भी दीं।
लोकसभा अध्यक्ष ने 'भारतीय दंड
संहिता' को 'भारतीय न्याय संहिता' से प्रतिस्थापित करने के भारत के कदम को न्याय की
प्राथमिकता स्थापित करने वाला बताया। विकास और सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को प्राप्त
करने में संसदीय समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बिरला ने कहा कि
विभिन्न संसदीय समितियां, जिन्हें 'मिनी संसद' भी कहा जाता है, संसद और सरकार के प्रयासों
के पूरक के रूप में कार्य करती हैं।
उन्होंने विशेष रूप से सामाजिक
न्याय एवं अधिकारिता संबंधी समिति, महिला अधिकारिता संबंधी समिति, श्रम और कौशल विकास
संबंधी समिति और अन्य समितियों द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रमों की प्रभावी निगरानी और
जवाबदेह कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के प्रयासों का उल्लेख किया।
बिरला ने इस बात पर दृढ़ता से
कहा कि भारत सरकार मानव विकास के प्रमुख संकेतकों के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त
करने के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रही है। इस संदर्भ में उन्होंने 'आयुष्मान भारत
प्रधानमंत्री - जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई)' का विशेष उल्लेख किया, जो विश्व की
सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है और आर्थिक रूप से पिछड़े भारत की 40 प्रतिशत आबादी
को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के
कुशल नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भारत पिछले एक दशक में 105 प्रतिशत जीडीपी
वृद्धि के साथ विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है और 'विकसित
भारत-2047' के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है।
बिरला ने यह भी गर्व से बताया
कि भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी सबसे बड़ी
अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने नवाचार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,
स्टार्टअप, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, फिनटेक, फार्मा और
अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की अग्रणी भूमिका का उल्लेख किया।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आईपीयू
असेंबली में होने वाली गहन चर्चा से सभी प्रतिनिधियों को एक नई दूरदृष्टि मिलेगी और
यह दुनिया भर की संसदों को न्यायसंगत, समावेशी और समृद्ध समाज के निर्माण की दिशा में
ठोस कदम उठाने में सहायक सिद्ध होगी।
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में
आईपीयू की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि आईपीयू वैश्विक संसदीय
सहयोग में नए आयाम जोड़ रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 150वीं आईपीयू असेंबली
के लिए चुना गया विषय भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवन-दर्शन में निहित 'वसुधैव
कुटुंबकम' की भावना का ही विस्तार है।
सम्मेलन के दौरान, लोकसभा अध्यक्ष
ओम बिरला ने वियतनाम की नेशनल असेंबली के प्रेसिडेंट महामहिम ट्रैन थैन मैन से भी मुलाकात
की। इस अवसर पर उन्होंने भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ
के अवसर पर अप्रैल 2022 में अपनी वियतनाम यात्रा को याद किया। उन्होंने दोनों देशों
के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल के वर्षों
में उच्च स्तरीय वार्ताओं के माध्यम से द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए हैं।
बिरला ने इस बात पर संतोष व्यक्त
किया कि दोनों देश 2047 (भारत) और 2045 (वियतनाम) के लिए अपने-अपने विज़न के साथ सतत
विकास की ओर अग्रसर हैं।
बिरला ने रक्षा, प्रौद्योगिकी,
बुनियादी ढांचे और परमाणु ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग को दोनों देशों के
भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की संसदीय
संस्थाएं लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और जन कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने भारत में संसदीय कार्य प्रणाली को सुगम और सरल बनाने
तथा नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर भी प्रकाश
डाला, जिसमें 'डिजिटल संसद' पहल का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने वियतनाम के छात्रों
को भारत में मिल रही शैक्षिक और प्रशिक्षण छात्रवृत्ति के बारे में भी जानकारी दी और
दोनों देशों के बीच रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत
करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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