पूर्णिया: एसएससी की एमटीएस परीक्षा परीक्षा में फर्जीवाड़े मामले में पूर्णिया से गिरफ्तार 35 अभ्यार्थी को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। यह पूरा मामला बिहार की परीक्षा प्रणाली में व्याप्त फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। एसएससी एमटीएस परीक्षा में पहले से ही फर्जीवाड़े का आरोप था, लेकिन जिस व्यक्ति ने मामले को उजागर करने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई, वही खुद फर्जी साबित हुआ।

 

मामले का संक्षिप्त विवरण:

  1. फर्जी प्रोफेसर: सुरेश यादव नामक व्यक्ति ने खुद को आरएल कॉलेज, माधवनगर, पूर्णिया का समाजशास्त्र का प्रोफेसर बताते हुए एसएससी एमटीएस परीक्षा में फर्जीवाड़े की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
  2. जांच में खुलासा - जांच के दौरान जांच दल ने जो कुछ पाया उसे जानकार सभी के होश उड़ गए। जांच दल ने खुलासा करते हुए कहा:
    • आरएल कॉलेज के रिकॉर्ड में सुरेश यादव नाम का कोई प्रोफेसर नहीं है।
    • कॉलेज के प्रिंसिपल और स्टाफ ने भी इस व्यक्ति को पहचानने से इनकार कर दिया।
    • सुरेश यादव के पास 2006 तक के तदर्थ नियुक्ति के कुछ कागजात थे, लेकिन उसके बाद कोई वैध रिकॉर्ड नहीं मिला। 1984 में कॉलेज की तदर्थ कमेटी ने उनकी अस्थायी नियुक्ति की थी, लेकिन 2006 के बाद कॉलेज में उनसे किसी प्रकार की सेवा नहीं ली गई। सुरेश यादव से जब सैलरी स्लिप मांगी गई तो वे उपलब्ध नहीं करा पाए।
  3. अवैध सेवा: सुरेश यादव 2006 से 2021 तक पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में अवैध रूप से कार्यरत रहा।

 

मामले के मुख्य सवाल:

  1. को-ऑर्डिनेटर नियुक्ति में गड़बड़ी: सुरेश यादव को परीक्षा केंद्र का को-ऑर्डिनेटर कैसे बनाया गया?
  2. रिकॉर्ड और पहचान: सुरेश यादव ने किसके संरक्षण में अवैध रूप से विश्वविद्यालय में काम किया और किसके आदेश पर वह को-ऑर्डिनेटर नियुक्त हुआ? पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पवन कुमार झा ने भी बताया कि सुरेश प्रसाद यादव से विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने 2021 तक काम लिया है। वर्ष 2021 तक उन्हें को-ऑर्डिनेटर बनाया गया है।
  3. जांच और कार्रवाई: इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि परीक्षा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके।

 

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

यह घटना केवल एक व्यक्ति का फर्जीवाड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त बड़ी खामी को उजागर करती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है। शिक्षा और परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और योग्य अभ्यर्थियों को उनका हक मिल सके।