मुजफ्फरपुर के भूमि निबंधन कार्यालय में राजस्व चोरी और भ्रष्टाचार का गंभीर
मामला सामने आया है। सहायक निबंधक महानिरीक्षक (एआईजी) राकेश कुमार के नेतृत्व में
चार दिनों तक चली गहन जांच में छह ऐसे मामले उजागर हुए, जहां पक्षकारों ने गलत भूखंड
दिखाकर भूमि रजिस्ट्री कराई। इस घोटाले में दर्जन भर बिचौलिए और निबंधन कार्यालय के
कई कर्मी शामिल पाए गए हैं।
चार दिनों की जांच में बड़ा खुलासा
एआईजी राकेश कुमार की टीम ने लगातार चार दिन चनपटिया
में कैंप कर हाल ही में निबंधित भूखंडों की गहन जांच की। जांच में यह पाया गया कि पक्षकारों
ने गलत भूखंड का विवरण देकर विभाग को गुमराह किया और राजस्व की चोरी की। टीम ने इन
मामलों में दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन किया, लेकिन जिन भूखंडों का उल्लेख दस्तावेजों
में था, वे सत्यापन के दौरान सही नहीं पाए गए।
दलालों की भूमिका और भ्रष्टाचार का जाल
जांच के दौरान निबंधन कार्यालय के आसपास सक्रिय
दर्जन भर दलालों की टोली भी चिन्हित हुई। ये दलाल भूखंड जांच में गड़बड़ी कराते थे
और इसके बदले मोटी रकम वसूलते थे। हर निबंधन प्रक्रिया में दो हजार से दस हजार रुपये
तक की अवैध उगाही होती थी, जो विभिन्न कर्मियों और दलालों के बीच बंट जाती थी।
कर्मचारियों पर शक और सख्त निर्देश
निबंधन कार्यालय के कई कर्मी और दस्तावेज लेखक
भी इस भ्रष्टाचार के घेरे में हैं। जांच के बाद एआईजी राकेश कुमार ने स्पष्ट निर्देश
दिए कि निबंधन प्रक्रिया में पूरी सावधानी और पारदर्शिता बरती जाए। किसी भी प्लॉट के
सत्यापन में चूक पाए जाने पर संबंधित कर्मी के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जिस भूखंड में
गड़बड़ी की आशंका हो, उसके लिए स्थानीय अंचल अधिकारी (सीओ) की रिपोर्ट लेना अनिवार्य
होगा। सीओ की रिपोर्ट और पक्षकार के दस्तावेजों का आपस में मिलान कर ही निबंधन प्रक्रिया
पूरी की जानी चाहिए।
भ्रष्टाचार के आरोप और बचाव
गुप्त शिकायत पत्र के माध्यम से चनपटिया अवर निबंधन
कार्यालय में कथित भ्रष्टाचार की जानकारी एआईजी को दी गई थी। शिकायत में हाल ही के
आधा दर्जन भूखंडों की निबंधन प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था। बताया गया
कि कार्यालय में औसतन 60 से 80 भूखंडों का निबंधन प्रतिदिन होता है और प्रत्येक दस्तावेज
के लिए अवैध वसूली तय होती है।
हालांकि, अवर निबंधन पदाधिकारी मनीष कुमार ने इन
आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विभाग की रूटीन जांच थी और कार्यालय में किसी भी
प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि भूमि सत्यापन के बाद ही निबंधन किया
जाता है और दलालों की सक्रियता का आरोप आधारहीन है।
निबंधन विभाग में मचा हड़कंप
इस जांच से निबंधन विभाग में हड़कंप मच गया है।
लंबे समय से सक्रिय कई दलाल शनिवार को निबंधन कार्यालय के आस-पास नजर नहीं आए। इस घोटाले
का भंडाफोड़ न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है
कि राजस्व चोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
आगे की कार्रवाई
गड़बड़ी करने वाले सभी पक्षकारों के खिलाफ प्राथमिकी
दर्ज की जाएगी और उनसे राजस्व की चोरी की गई राशि वसूलने की तैयारी की जा रही है। जांच
का दायरा बढ़ाते हुए अन्य संदिग्ध मामलों की भी समीक्षा की जाएगी।
इस मामले ने न केवल विभागीय पारदर्शिता को लेकर
चिंता बढ़ाई है, बल्कि यह भी साबित किया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सतर्क
निगरानी और कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
चित्र साभार: गूगल
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