पटना/नालंदा: नालंदा जिले के परसबिगहा थाना क्षेत्र में एक जमीन विवाद ने उस समय हिंसक रूप ले लिया, जब केंदुई गांव में दो परिवारों के बीच विवाद बढ़कर मारपीट तक पहुंच गया। यह घटना केवल व्यक्तिगत झगड़े तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने गांव के माहौल को भी तनावपूर्ण बना दिया। विवाद के चलते दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया, और अंततः यह मामला हिंसा में बदल गया।

 

घटना का पूरा विवरण

केंदुई गांव में जमीन को लेकर लंबे समय से दो परिवारों के बीच विवाद चल रहा था। शुक्रवार की सुबह यह विवाद तब बढ़ गया, जब एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के घर में घुसकर मारपीट की। इस घटना में कई लोग घायल हो गए। घटना के बाद गांव में तनावपूर्ण स्थिति बन गई। घायल व्यक्तियों को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

 

घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग 35 (NH-35) को जाम कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि प्रशासन ने इस मामले में समय रहते कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। जाम के कारण सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

 

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही परसबिगहा थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पहले घायल व्यक्तियों को अस्पताल भेजा और फिर ग्रामीणों से बातचीत कर जाम हटाने का प्रयास किया। पुलिस अधीक्षक ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। प्रशासन ने दोनों पक्षों से बातचीत की और मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया।

 

पुलिस ने मामले में दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों ने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

 

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला। उनका कहना है कि जमीन विवाद लंबे समय से चल रहा था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण यह झगड़ा इस स्तर तक पहुंच गया। कई ग्रामीणों ने पुलिस पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाया।

 

ग्रामीणों का कहना है कि जमीन विवाद के समाधान के लिए प्रशासन को पंचायत स्तर पर ही कदम उठाने चाहिए थे। उनका यह भी कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती, तो इस तरह की हिंसक घटना टाली जा सकती थी।

 

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

इस घटना ने यह दिखाया कि जमीन विवाद जैसे मुद्दे कितने संवेदनशील हो सकते हैं। नालंदा जैसे इलाके में जहां सामाजिक सद्भाव और कानून व्यवस्था पर बहुत ध्यान दिया जाता है, वहां इस तरह की घटना चिंता का विषय है। प्रशासन के लिए यह घटना एक चेतावनी है कि ऐसे मामलों में तुरंत और निष्पक्ष कार्रवाई की जाए।

 

केंदुई गांव की यह घटना केवल एक स्थानीय विवाद नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक तकरार का उदाहरण भी है। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने समय पर स्थिति को संभाल लिया, लेकिन ऐसी घटनाएं क्षेत्र की शांति और विकास में बाधा बन सकती हैं। प्रशासन को इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। इससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था मजबूत होगी और लोगों का प्रशासन पर भरोसा भी कायम रहेगा।