पटना: पटना के बापू परीक्षा परिसर में BPSC PT के दौरान हुए उपद्रव ने पूरे प्रशासन और परीक्षा आयोग को झकझोर कर रख दिया है। जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट के विवरण से इस घटना की गंभीरता स्पष्ट हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, यह उपद्रव सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को बाधित करना और संभावित रूप से इसे रद्द कराना था।

 

घटना का विवरण

13 दिसंबर को आयोजित 70वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा के दौरान कुछ छात्रों और बाहरी तत्वों ने केंद्र पर हंगामा किया। रिपोर्ट के अनुसार:

 

  1. प्रश्नपत्र की चोरी का प्रयास: एक परीक्षार्थी ने ट्रंक से प्रश्नपत्र का पैकेट लूटकर गेट तोड़ने की कोशिश की।
  2. ओएमआर शीट और दस्तावेज क्षति: कई कमरों में जाकर उपस्थित पत्रक और अन्य दस्तावेजों को क्षतिग्रस्त किया गया।
  3. अफवाह और उकसावे का माहौल: अफवाह फैलाकर परीक्षा रद्द कराने की कोशिश की गई।

 

प्रशासनिक कार्रवाई

  1. जांच रिपोर्ट: वरीय उपसमाहर्ता ब्रजकिशोर लाल और केंद्राधीक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह की संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर, प्रशासन ने ठोस कदम उठाने की सिफारिश की है।
  2. पहचान और गिरफ्तारी के लिए टीमें: हंगामा करने वालों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया जा रहा है।
  3. परीक्षा में रोक: जिन छात्रों की संलिप्तता सिद्ध होगी, उन्हें भविष्य में BPSC की परीक्षाओं में शामिल होने से रोका जा सकता है।

 

कोचिंग संस्थानों की भूमिका पर सवाल

जांच में यह आशंका जताई गई है कि हंगामे में कुछ कोचिंग संस्थानों की भी संलिप्तता हो सकती है। बाहरी लोगों की उपस्थिति और छात्रों को उकसाने वाले तत्वों की जांच की जा रही है।

 

प्रशासन का रुख

डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्पष्ट किया है कि आयोग की गाइडलाइन्स का पालन करते हुए ही परीक्षा प्रक्रिया चलाई गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आयोग को और कड़े कदम उठाने चाहिए।

 

आगे का रास्ता – BPSC ने कहा है कि:

  1. सख्त दंड: दोषी छात्रों और बाहरी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
  2. परीक्षा प्रणाली में सुधार: प्रशासन और आयोग मिलकर परीक्षा के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त करेंगे।
  3. कोचिंग संस्थानों की जांच: यदि कोचिंग संस्थानों की संलिप्तता सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

 

निष्कर्ष

यह घटना न केवल परीक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ऐसे मुद्दे शिक्षा क्षेत्र में नैतिकता और ईमानदारी पर प्रहार करते हैं। इस तरह के उपद्रव को रोकने के लिए प्रशासन, परीक्षा आयोग, और समाज को मिलकर काम करना होगा। केवल कठोर दंड ही नहीं, बल्कि बेहतर संवाद और प्रभावी नीति भी ऐसे मामलों में मददगार साबित हो सकती है।

(प्रतीकात्मक तस्वीर: गूगल साभार)