नई दिल्ली (हि.स.):। लोकसभा
अध्यक्ष ओम बिरला
ने कहा कि अगले साल
भारत में आयोजित
होने वाले 25वें
कॉमनवेल्थ देशों की
संसदों के अध्यक्षों
और पीठासीन अधिकारियों
के सम्मेलन (सीएसओपीसी)
का मुख्य फोकस
संसदों के कामकाज
में एआई और सोशल मीडिया
के अनुप्रयोग पर
होगा। उन्होंने यह
टिप्पणी गर्नजी में
आज आयोजित सीएसओपीसी
की स्टैंडिंग कमेटी
की बैठक की अध्यक्षता करते हुए
की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत
में हो रहे परिवर्तन का जिक्र
करते हुए बिरला
ने कहा कि भारत के
पास अब विश्व
स्तरीय बुनियादी ढांचा
और सेवा क्षेत्र
है। उन्हें उम्मीद
है कि अगले साल सम्मेलन
के लिए भारत
आने वाले देश
की विरासत और
प्रगति के अद्वितीय
मिश्रण का अनुभव
करेंगे।
लोकतंत्र के संरक्षक,
विकास को गति देने वाले
और लोक कल्याण
के संवाहक के
रूप में संसदों
की भूमिका पर
बल देते हुए
बिरला ने जलवायु
परिवर्तन, आतंकवाद और साइबर
अपराध जैसी वैश्विक
चुनौतियों से निपटने
के लिए संसदों
को अधिक प्रभावी,
समावेशी और पारदर्शी
बनाने के महत्व
पर प्रकाश डाला।
उन्होंने 2026 में 28वें
सीएसओपीसी के मेजबान
के रूप में भारत को
चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की
और कहा कि इससे भारत
को अपनी समृद्ध
सांस्कृतिक विरासत और
समावेशिता और सद्भाव
की सदियों पुरानी
परंपराओं को विश्व
के साथ साझा
करने का अनूठा
अवसर मिलेगा ।
बिरला ने वैश्विक
सहयोग और एकता के मार्गदर्शक
सिद्धांत के रूप
में वसुधैव कुटुम्बकम-
"पूरा विश्व एक
परिवार है" के
प्राचीन भारतीय दर्शन
की प्रासंगिकता के
बारे में भी बात की।
बैठक के दौरान
हुई चर्चाओं में
भारत में आयोजित
किए जा रहे आगामी 28वें सीएसओपीसी
के एजेंडे को
अंतिम रूप देना
और दुनिया भर
की संसदों को
प्रभावित कर रहे
प्रणालीगत मुद्दों पर विचार-विमर्श करना
शामिल था। अध्यक्ष
ने 1970-71, 1986 और 2010 में सीएसओपीसी
सहित ऐसे कार्यक्रमों
की मेजबानी करने
की भारत की परंपरा के
बारे में बताया
और राष्ट्रमंडल देशों
के सभी पीठासीन
अधिकारियों को नई
दिल्ली में सम्मेलन
में भाग लेने
के लिए आमंत्रित
किया।
संसदों में एआई और सोशल मीडिया होगा अगले सीएसओपीसी सम्मेलन का फोकसः बिरला

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