इस्लामाबाद/कराची: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में
पानी को लेकर चल रहा विवाद अब हिंसक रूप ले चुका है। सिंधु नदी पर नई नहरों के निर्माण
के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मंगलवार को नौशहरो फिरोज जिले के मोरो शहर में
भारी हिंसा भड़क उठी। डॉन न्यूज के मुताबिक, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों
में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि सिंध के गृहमंत्री जिया लंजर का घर भी आग के
हवाले कर दिया गया।
घटना में एक डीएसपी सहित छह पुलिसकर्मी
घायल हुए हैं। इसके अलावा कई अन्य नागरिकों के घायल होने की भी सूचना है। हिंसा के
दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और मोरो शहर के मुख्य मार्गों पर अराजकता
का माहौल बना रहा।
क्यों भड़का सिंध में जल आंदोलन?
मंगलवार को सिंध सबा (Sindh Sabha) द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया
जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों
ने इसके जवाब में मोरो बाईपास रोड को जाम कर दिया और गृहमंत्री जिया लंजर के घर पर
हमला बोल दिया।
प्रदर्शन की जड़ फरवरी 2025 में
पाकिस्तान सरकार द्वारा सिंधु नदी पर प्रस्तावित छह नई नहरों के निर्माण की योजना है।
इस योजना के तहत पंजाब, बलूचिस्तान और सिंध में नहरों का निर्माण किया जाना है, लेकिन
सिंध के लोगों का आरोप है कि इससे उनके जल अधिकारों का हनन होगा और सिंध के हिस्से
का पानी पंजाब में स्थानांतरित किया जाएगा।
क्या है सिंध की आपत्ति?
पानी के मुद्दे पर सिंध और पंजाब के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। सिंध के नागरिकों
का मानना है कि सिंधु नदी पर बनने वाली नई नहरें उनके पहले से ही संकटग्रस्त जल संसाधनों
पर और दबाव डालेंगी। पाकिस्तान टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 1999 से 2023 तक सिंध को
औसतन 40% जल की कमी का सामना करना पड़ा है, जबकि पंजाब में यह कमी सिर्फ 15% थी।
इस जल संकट के कारण सिंध में
2.5 मिलियन एकड़ आम के बागान और कई अन्य फसलें सूखने की कगार पर हैं। इसके अलावा समुद्री
जल के अतिक्रमण के कारण तटीय कृषि भूमि भी तेजी से बर्बाद हो रही है।
राजनीतिक और सामाजिक समर्थन
सिंध में जल अधिकारों की रक्षा को लेकर अब यह मुद्दा राजनीतिक रूप भी ले चुका है। पाकिस्तान
पीपुल्स पार्टी (PPP) ने लरकाना से ठट्टा तक रैलियों का आयोजन किया है। इसके अलावा
सिंध यूनाइटेड पार्टी, सिंध अबादगार इत्तेहाद और जेय सिंध कौमी महाज जैसे संगठनों ने
भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया है। नागरिक संगठनों और किसानों का आरोप है कि यह परियोजना
“जल संसाधनों की लूट” है और सिंध की कृषि अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है।
निष्कर्ष
सिंध में पानी को लेकर गहराते विरोध और हिंसा ने पाकिस्तान सरकार की जल नीति पर गंभीर
सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस मुद्दे का समाधान संवाद और पारदर्शिता से नहीं किया गया,
तो यह विवाद और अधिक भयानक रूप ले सकता है। फिलहाल सिंध के कई हिस्सों में तनाव बना
हुआ है और हालात सामान्य करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
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